कोविड वैक्सीन- स्वास्थ्य व्यवस्था का राजनीतिकरण

कोविड वैक्सीन- स्वास्थ्य व्यवस्था का राजनीतिकरण
Spread the love

अशोक शर्मा
लचर स्वास्थ्य व्यवस्था को हम हमेशा राजनैतिक उदासीनता से जोड़ कर देखते आ रहे हैं। यह भी सच है क्योंकि स्वास्थ्य कभी एक राजनैतिक मुद्दा बना नहीं। लेकिन कोविड वैक्सीन को लेकर जिस तरह दोनों तरफ से राजनैतिक लाभ लेने की कोशिश हुई है वो एक खराब परिपाटी की शुरुआत है। वैक्सीन को लेकर जिस तरीके से शुरुआत से लेकर अभी तक विवाद होता आ रहा है वो एक देश के तौर पर हमारी अपरिपक्वता को दर्शाता है।

कोई भी वैक्सीन बनती है तो वो कई सालों के दौर के रिसर्च के बाद लोगों के बीच पहुंचती है। लेकिन कोविड के दौरान वो महामारी इतनी बड़ी थी कि उसका समय नहीं मिला। आपके जितने भी सवाल हैं वैक्सीन को लेकर, यक़ीन मानिए कि उसमें से किसी सवाल का निश्चित जवाब नहीं है अभी। और कोई अभी दे भी नहीं सकता। जैसे-जैसे रिसर्च आगे बढ़ेगी इसे लेकर चीजें और बेहतर समझ में आयेंगी। आप अभी जितनी भी चीजें वैक्सीन के पक्ष या विरोध में अभी सुन रहे हैं वो सारी चीजें अभी कसौटी पर खरी नहीं उतरी हैं। ये भी हो सकता है कि कार्डियेक अरेस्ट या अन्य समस्याएं आ रही हैं वो वैक्सीन की वजह से ना हो कर कोविड बीमारी के कारण हो रही हो। तो किसी भी निष्कर्ष पर अभी आने से बचें।

हम वैश्विक महामारी के भयानक दौर से गुजरे हैं

वैक्सीन को लेकर जो भयभीत हैं वो इस बात को समझें कि हम वैश्विक महामारी के भयानक दौर से गुजरे हैं। ईश्वर को धन्यवाद दें आप और हम उस त्रासदी के दौर से निकल कर जिन्दा हैं। आप अगर ये सोच कर डर रहे हैं कि वैक्सीन ले ली तो क्या होगा, तो ये भी सोचिये कि अगर वैक्सीन न ली होती तो आज शायद जीवित नहीं भी रह सकते थे। क्या साइड इफ़ेक्ट है, कब तक रहेगा और क्या निदान है ये वैज्ञानिक वर्ग तय करेगा और जल्द करेगा। अगर आपको किसी प्रकार की स्वास्थ्य समस्या नहीं आ रही है तो अकारण घबराने जैसी कोई बात नहीं। अगर किसी प्रकार की शारीरिक समस्या है तो बस उसे नजरअंदाज ना करें, डॉक्टर से मिलें।

शंका और संशय के माहौल से निकलें। अभी के हालात में ये जरूरी है कि एम्स सरीखे संस्थान के निदेशक को सरकार नामित करे कि वो आयें और देश को संबोधित कर उन्हें भरोसा दें कि सब ठीक होगा।

Anita Amoli

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *